मंगलवार, 8 जुलाई 2025

कविता : " गाँव की कुछ यादे "

" गाँव की कुछ यादे "
 सुबह की  वह रोशनी। 
मेरे घर के दरवाजे पर आती थी। 
रोशनी आकर मुझे कुछ कहती थी। 
साथ में मखमली सी हवा ,
मेरे मन को मोह लेती थी। 
परित खेत सुनहरे चमकीली 
लगती थी। 
जब सूरज की रोशनी उस पर पड़ती थी। 
टैक्टर का चलना और गाय का चिल्लाना ,
भेद - बकरियों का चरना। 
जैसे एक साथ रहना ,
यह  सब गाँव को दरसाती थी। 
कवि :  सुल्तान कुमार, कक्षा : 11th  
अपना घर। 

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