शुक्रवार, 10 मई 2024

कविता: "संघर्ष "

 "संघर्ष "
दो पल की छांव है ,
और दो पल की धूप है | 
यह संघर्ष की सफर में ,
अनेक रूप है कई शुकून की लम्हे नहीं | 
बस हर पल डर है और है नमी ,
यह संघर्ष की सफर में | 
रूठी है मुझसे यह जमी ,
हर पल ढूंढ़ता हूँ | 
शुकून की जिंदगी ,
अब तो दुवा  यही करता हूँ | 
ना रहे कोई कमी ,
यह संघर्ष की सफर में | 
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :10th 
अपना घर 

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