शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022

कविता: " हर मुकाबला "

" हर मुकाबला "

पैरों तले दरार पड़े हैं ,

पर फिर भी सीना तान खड़े हैं ।

आपदा से  लड़ने के लिए ,

जीत की ऊंचाई  चढ़ने के लिए ।

लौट जा तू निराले ,

अब हम न हार मानने वाले ।

चाहे कर दे ऊँची मुश्किलों की  दीवार ,

पर फिर भी कर देंगे हम उसको पार ।

एक नहीं,दो नहीं,

हम करोड़ों से लड़ जाएंगे ।

हर मुकाबला हम जीत के दिखाएंगे ।

कवी: देवराज कुमार, कक्षा; 12th 

अपना घर

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