शुक्रवार, 13 मई 2022

कविता : " आंधी"

" आंधी"

 किस ओर चली ये आंधी |  

ठण्ड हवाओ का झोखा अपने संग बांधी ,

थोड़ी वर्षा यहाँ भी गिरा जाओ |  

इस भीषड़ गर्मी में हमको न तड़पाओ ,

सारे पेड़ों में मारी है आम की झोली | 

तुम देखका डर गई हमारी पेड़ भोली ,

थोड़ा हमपर रहम है करना | 

सारे आम को तुम मत झोरना ,

खटटे  -मिट्ठे  पके  आम हमारे | 

तेरे आते डर जाते हम सारे ,

झोपड़ियों को तुम मत उड़ा ले  जाना | 

पड़ता है उन्हें फिर दुबारा बनवाना ,

किस ओर चली ये आधी | 

कवि : कुल्दीप कुमार , कक्षा : 10th 

अपना घर

 

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