क्यों नहीं याद
वो भगत का शहीद खून ,
वो जवानी झांसी की रानी की ........
जो झकझोर दिया था ,
उन गोरे अंग्रेजों को ......
लेकिन आज के इस भ्रस्ट समाज में,
भ्रस्टाचारियों की है भरमार ......
इन भ्रस्टाचारियों से ही ,
चल रही है हमारी ......
मिली जुली सरकार ,
आज के इस भ्रस्ट समाज में ......
रह - रहे हैं सभी एक साथ ,
अपने हक़ को मांगने के लिए .....
आगे बढ़ नहीं रहे कभी ,
क्यों हम किसी का जुल्म सहें ?
क्यों न हम अपना हक़ लेकर रहें?
लेखक -ज्ञान कुमार
कक्षा -९
अपना घर
वो भगत का शहीद खून ,
वो जवानी झांसी की रानी की ........
जो झकझोर दिया था ,
उन गोरे अंग्रेजों को ......
लेकिन आज के इस भ्रस्ट समाज में,
भ्रस्टाचारियों की है भरमार ......
इन भ्रस्टाचारियों से ही ,
चल रही है हमारी ......
मिली जुली सरकार ,
आज के इस भ्रस्ट समाज में ......
रह - रहे हैं सभी एक साथ ,
अपने हक़ को मांगने के लिए .....
आगे बढ़ नहीं रहे कभी ,
क्यों हम किसी का जुल्म सहें ?
क्यों न हम अपना हक़ लेकर रहें?
लेखक -ज्ञान कुमार
कक्षा -९
अपना घर
2 टिप्पणियां:
समाज के बदलते मूल्यों में संस्कारों का outsource किया जाना भी एक कारण है. जो स्ंस्कार पहले घर से मिलते थे वे आज कहीं आैर से नहीं मिलते
"ज्ञान" की जागरूक सोच भविष्य की आशा है
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