मैने उसको पटका
रात को मैं जा रहा था ।रास्ते में कुत्ता सो रहा था ॥
अकेला समझ के मुझ पर दौड़ पड़ा ।
लिए था मैं एक मोटा डंडा ॥
जैसे उसने मुझको पकड़ा ।
झट से मैने उसको पटका ॥वापस घर को चलता बना ।
रात को मैं जा रहा था । ।लेखक अशोक कुमार कक्षा ७ अपना घर कानपुर
3 टिप्पणियां:
मजेदार कविता।
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विश्व का सबसे शक्तिशली सुपर कम्प्यूटर।
2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन चालू है।
khub achchh shuruaat.narayan narayan
अच्छी रचना!
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नए वर्ष पर मधु-मुस्कान खिलानेवाली शुभकामनाएँ!
संपादक : "सरस पायस"
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