सोमवार, 18 जुलाई 2022

कविता : "हे दुनियाँ वालों जरा इन पेड़ों को तो बचालो "

"हे दुनियाँ वालों जरा इन पेड़ों को तो बचालो "

 हे दुनियाँ वालों | 

जरा इन पेड़ों को तो बचालो ,

जिसने कि तेरी जीवन से पहले खातिरदारी | 

पर बन गए तुम लोग अत्याचारी ,

काट -काट कर बनाया अपना आशियाना | 

अब पड़ रहा है हर एक सांस के लिए पछताना ,

प्रदूषित कर डाला पूरा हर तरफ | 

अब आ गया हमारा संकट ,

पेड़ थे हमारे जीवन दाता | 

पर हमने तोडा इनसे अपना नाता ,

हे दुनियाँ वालों | 

जरा इस पेड़ों को तो बचालो ,

कवि : कुल्दीप कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर 

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