शनिवार, 5 मार्च 2022

कविता : " सूरज की ओर कड़कती किरण "

" सूरज की ओर कड़कती किरण "

 सूरज की ओर कड़कती किरण | 

हर जगह को अनजान बना देती है ,

पेड़ -पौधे को सुखा डालता है | 

जीना बेहाल कर देती है ,

जब उस जगह पर पहला बूंद गिरता है |

एक अनजान जगह से हरियाली में बदल जाता है ,

सूरज की ओ कड़कती किरण | 

हर जगह को अनजान बना देता है ,

मन का मनोबल डाउन कर देता है | 

सूरज की ओ कड़कती किरण,

कवि : अमित कुमार , कक्षा : 7th 

अपना घर 

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