गुरुवार, 5 दिसंबर 2024

कविता :"मासूम दुनिया "

"मासूम दुनिया "
बहुत मासूम है यह दुनिया ,
एक चीज के पीछे हजार लोग भागते है  | 
पर नसीब में किसी का न होता,
कुछ लोग अकेलापन को अपना दुनिया मानते| 
अब अनजान बनकर रहना चाहते है ,
बहुत मासूम है यह दुनिया|
सब लोग अपने आप को बड़े मानते है | 
जो चाह में आये वह करना चाहते है,
एक चीज के पीछे हजार लोग भागते है| 
बहुत मासूम है यह दुनिया ,
सिर्फ दूसरों में गलती निकालते है | 
पर अपने गलतियों पर अमल नहीं करते ,
बहुत मासूम है यह दुनिया| 
कवि : अमित कुमार ,कक्षा :10th 
अपना घर 

 

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