मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

कविता:- बसंत की उमंग

 "बसंत की उमंग"
आया अब बसंत की उमंग। 
आँगन में फैले सुनहरे रंग।।
पत्तों को झकझोरने वाली हवाएँ।
 जो नयन से होकर।।
हृदय में बस जाये।
रात के दूधियाँ उजियारे।।
आसमान में सिमटते तारे। 
लगता है जैसे खेल रहे हो।।
एक दूसरे के संग। 
आया है बसंत की उमंग।।
पेड़ पुराने पत्ते छोड़। 
बढ़े नए पत्तों के संग।।
आया अब बसंत की उमंग।
  कविः -देवराज कुमार, कक्षा -10th , अपना घर , कानपुर ,
 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं। और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।
 
 

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