कविता =अंधेरी -रात
अंधेरी काली रात थी ,
नेताओ की बारात थी.....
बारात में नेता जी आये थे,
भ्रष्टाचार फैलाये थे .....
अंधेरी काली रात थी ,
अंधेरी काली रात थी ,
नेता जी फैलाये झोला ....
करते हैं गड़बड़ घोटाला ,
जनता को पता चला .....
लगता हैं सब करते हैं घोटाला,
अंधेरी काली रात थी .....
नेताओ की बारात थी......
लेखक - सागर कुमार
कक्षा - ८ अपना घर, कानपुर
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