बुधवार, 19 जनवरी 2011

कविता :नेता

नेता

आज के नेता बड़े बेईमान ।
भरते झोली चलते सीना तान ॥
करते रहते हैं लाखों का घोटाला ।
नहीं है कोई इनको पकड़ने वाला ॥
नेता जी के घर में चोरों का एक बार पड़ा पाला ।
रुपये जेवरात नेताजी के घर से निकाला ॥
आज के नेता बड़े बेईमान ।
भरते झोली चलते सीना तान ॥

लेख़क :सागर कुमार
कक्षा :7
अपना घर

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