शीर्षक -भारत बसता हैं गाँव में
पीपल का पत्ता ,
लगता जैसे कपड़ा का लत्ता.....
वह हमेशा रहता हिलता ,
२४ घंटे सबको आक्सीजन देता .....
दिखता हमें हरा भरा ,
कोंपे खाने में लगती गरी छुहारा......
गंगा की पावन धार से ,
पवित्र हैं यह भारत हमारा......
हरे पीपल के पत्तो की छाँव में ,
हमारा भारत बसता हैं मेरे में ....
पीपल का पत्ता ,
लगता जैसे कपड़ा का लत्ता.....
वह हमेशा रहता हिलता ,
२४ घंटे सबको आक्सीजन देता .....
दिखता हमें हरा भरा ,
कोंपे खाने में लगती गरी छुहारा......
गंगा की पावन धार से ,
पवित्र हैं यह भारत हमारा......
हरे पीपल के पत्तो की छाँव में ,
हमारा भारत बसता हैं मेरे में ....
लेख़क - आशीष कुमार
कक्षा - ८
अपना घर, कानपुर
3 टिप्पणियां:
सही कहा आपने पीपल हमारे लिए बहुत उपयोगी है और भारत तो गाँव में बसता है सुंदर रचना , बधाई
बहुत सुंदर कविता
पीपल हमारे लिये बहुत ही उपत्योगी है।
सुन्दर कविता.........
लिखते रहो.............
एक टिप्पणी भेजें