सोमवार, 22 दिसंबर 2014

                                
यार 
लाल कबूतर आया 
पीले से आकर बोला|
तुम हो पीले मैं हूँ लाल 
हम दोनोंहै  बचपन के यार|
यारी चलो निभायेगे
मीठे आम खायेगे |
पीला फिर झट से बोला 
यारी तो मुझको नहीं है आती |
तुम यारी मुझे सिखाओ यार 
हम दोनों है बचपन के यार |


                                                               बालकवि - राज कुमार
                                                          कक्षा - 5th
                                                    अपनाघर
ठंडी का मौसम आया ! 

ठंडी का मौसम आया
पहले से ज्यादा सर्दी लाया
ठिठुर ठिठुर कर कॉप रहे है
लोग बेचारे आग ताप रहे है
बारिस का भी कुछ कहना नहीं
हम को बाहर रहना नहीं
रजाई ओढ़ कर दिन बिताओ
इस ठंडी से अब पीछा छुड़ाओ
शाम ढले तो घर वापस आओ
जयादा ठण्ड लगे तो टोपी लागाओ
कोहरा आया ओस को लाया
 ठंडी का मौसम आया
ठंडी का मौसम आया ......................

प्रान्जुल  कुमार 
कक्षा - 5th  

                                                                    

       ठंडी
                      
ठंडी में जब हुआ सबेरा
उठने का मन न करता मेरा 
रजाई से न निकलना चाहूँ 
जल्दी चावल मैं ना खाऊं
रोटी को मैं खूब चबाऊं
शाम को रजाई तानकर 
सो जाऊं मन कहता मेरा 
ठंडी में जब हुआ सबेरा 
पहरेदार भी न डालता पहरा 
ठंडी ये  क्या बात है तेरा 
ठंडी किसी की मन को न भाता 
काम करने वाले ठिठुर - ठिठुर रह जाते 


                                                                       बालकवि - देवराज 
                                                                 कक्षा - ४ th


बुधवार, 17 दिसंबर 2014



तब मैंने सारी बात बतायी !!

रात में जब सो रहा था
जाने कौन सी दुनिया में छिपा पड़ा था !!
सपने आ रहे थे सुन्दर सुन्दर, 
घूम आऊ मै सबके घर के अन्दर !!
धूम मचाऊ मौज उड़ाऊ, 
सबके साथ ख़ुशी मनाऊ !! 
मम्मी ने जब बिस्तर से उठायी रजाई, 
तब मैंने सारी बात बतायी !!
तब मैंने सारी बात बतायी !!


विक्रम कुमार 
कक्षा - 4 

रविवार, 14 दिसंबर 2014


 CHUDAIL

चुड़ैल  आया ,चुड़ैल आयी
चारो ओर धूम मचायी
इधर देखो उधर देखो 
बस चुड़ैल  ही चुड़ैल नजर आती 
जो भी बाहर आती उसका खून पी जाती 
इसी ख़ुशी चुड़ैल मौज उड़ाती
चुड़ैल आया चुड़ैल आया
चारो ओर धूम मचाया
बाल कवि ;अखिलेश कुमार 
कक्षा ;४  th



शनिवार, 13 दिसंबर 2014

JACKPOT STAR

jackpot star आ  रहा है 
साईकिल पंचर होने के कारण
रास्ते में पंचर बनवा रहा है 
ऐसा question लायगा 
बच्चों को कन्फ्यूज्ड कर जायगा 
question  होता कभी -कभी इजी 
तो बच्चे रहते  कभी - कभी बिज़ी
रोज लगेगा jackpot ऐसा 
आंसर होगा उसी के जैसा 
साप्ताहिक  दिन आया है 
साथ मे jackpot गिफ्ट लाया है 
बाल कवि: प्रान्जुल कुमार 
कक्षा : 5th , अपना घर, कानपुर

सोमवार, 25 अगस्त 2014

सारे पेड़ पौधे टूट फुट गए
अब पौधा लगाने का मौका है
इस मौके को कोई छोड़ना नहीं
मौका है बहुत अच्छा है
छोड़ना नहीं कोई अपनी इच्छा से
सभी पेड़ पौधे लगाना ख़ुशी से
पेड़ पौधे भी गा रहे है
चारो तरफ हरियाली छा रहे है। ...................

रवि किशन
कक्षा - 4

मंगलवार, 19 अगस्त 2014

कविता: छुट्टी के दिन आई रे

छुट्टी के दिन आई रे  ...

आई रे आई रे आई रे
छुट्टी के दिन आई रे 
खेल कूद ले आई रे
मस्ती का दिन लाई रे 
आई रे आई रे आई रे
छुट्टी का दिन आई रे 
गाई रे गाई रे गाई रे
कोयल गीत गाई रे 
आई रे आई रे आई रे
छुट्टी का दिन आई रे 
पढाई से हो गई कुट्टी रे 
मार से मिली है छुट्टी रे 
आई रे आई रे आई रे
छुट्टी का दिन आई रे...
                                    कवि: देवा कुमार, कक्षा 4th, अपना घर, कानपूर          


शनिवार, 9 अगस्त 2014

सावन आया सावन आया 
साथ में अपने झूले लाया
बारिस और हरियाली लाया
बच्चे झूले में झूला झूलें
मौज़ मस्ती के दिन लाया
सावन आया सावन आया
ढेर सारे त्यौहार लाया
बादल और घटाए लाया
बारिस और हरियाली लाया
सावन आया सावन आया  ……………… 

                                                          राज़कुमार
                                                                    कक्षा - 5 

रविवार, 4 मई 2014

कविता: सपनों में खिला एक फूल

फूल 

सपनों में खिला एक फूल..
लगता है कितना प्यारा,
हंसती मुस्कराती  मेरे पलकों पर,
दिल के किसी कोने को छू जाती..
चमका रहती हमेशा उस पर,
मेरे मन के विचार को घुमाती..
सपनों में खिला एक फूल,
क्या क्या सपने दिखाती ...
इसी फूल से बनता बगीचा,
चम-चमाता रहता फूल..
नितीश कुमार, Class 4th
"अपना घर", कानपूर

मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

कविता: वक्त

"वक्त"

अत्याचार का है अब राज,
वक्त कह रहा है ये आज..
महक नहीं आज की इन मिट्टियों में,
वो बात नहीं है आज की चिठ्ठियों में..
कल जो गुजर गई रात,
कोई तो थी उसमें बात..
आज लड़ रहा है हिन्दुतान,
कल मिट रहा है हिंदुस्तान..
जिन्दगी को ढूढ़ रहा है,
मिट रहा है मर रहा है..
उम्मीद की रोशनी में,
घने अंधेरों से लड़ रहा है ..
प्रान्जुल कुमार, कक्षा 5th 
अपना घर, कानपूर

शनिवार, 19 अप्रैल 2014

कविता: हवा आया हवा आया

हवा आया हवा आया 

हवा आया हवा आया 
पेड़ से गिरता हुआ आम आया 
धूल कीचड़ से उड़ता आया 
सबके आँखों में धूल आया 
सब बच्चे रोते  आये
हवा आया हवा आया 
पेड़ से गिरता हुआ आम आया 
 कवि: प्रभात कुमार, कक्षा 3rd, 
अपना घर, कानपूर

सोमवार, 17 मार्च 2014

  कविता
शीर्षक : सूर्य
गुस्से में सूरज आया
लड़की को डॉट भगाया
लड़की रोती रह गयी
सूरज गर्मी देता गया
लड़की थी भोली-भाली
सूरज था बिल्कुल कसाई

लेखक : रवि किशन
कक्षा : ४
अपना घर

      कविता 

  शीर्षक : बच्चा 

बच्चा है यह  बच्चा है ,
बच्चा कितना अच्छा है....
अच्छा बच्चा मंजन करता,
खेल-कूद और मस्ती करता …
पढ़ाई भी वह अच्छे से करता ,
अपने दोस्तों के साथ मिल कर रहता ……
बच्चा है यह बच्चा है,
बच्चा कितना अच्छा है …

                                              लेखक : सनी
                                              कक्षा : २
                                              अपना घर

मंगलवार, 4 मार्च 2014

मार्च का महीना आया

मार्च का महीना आया 

मार्च का महीना आया है 
सुस्ती का मौसम लाया है 
बच्चों का सालाना पेपर लाया है 
मार्च का महीना आया है 
इस महीने में आता है 
रंग रंगीला होली त्योहार 
एक दूसरे पर रंग डालेंगे 
इससे बनता है व्यवहार 
इस महीने से शुरू होती है गर्मी 
स्वेटर टोपी छोडो चली गई है सर्दी 
बच्चे खुश होते है जब 
बच्चों के पेपर होते है जब 
दूसरी कक्षा में जायेंगे 
नई किताबें पाएंगे ..  
रचनाकार: प्रान्जुल के० , 
कक्षा 4th , अपना घर , कानपूर