सोमवार, 6 मई 2024

कविता :"मज़दूर "

 "मज़दूर "
मजदूर है हम ,कोई चोर नहीं | 
मेहनत करते है ,पसीना भाते है | 
एक वक्त का पेट भरने के लिए ,
पहाड़ो से टकराते है हम | 
मजदूर है हम ,
किसी का छीनकर नहीं खाते | 
खेती करते है फसल उगाते है ,
जरूरत पड़ने पर हम ही बताते है | 
हर अमीरों तक अनाज पहुँचते है हम,
महदूर है हम | 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :10th 
अपना घर 

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