"दुनिया "
अब अंत आ रहा है,
न जाने ये दुनिया किस ओर जा रहा है |
सारी चीजों को कर दिया बर्बाद ,
अब करते है इनको बचाने का फरियाद |
अब अंत आ रहा है,
सूरज की किरणे भी जहर बरसा रहा है |
अब जीवन बनता जा रहा है जिन्दा लाश ,
अब अंत आ रहा है |
कवि :गोपाल कुमार ,कक्षा :7th
अपना घर
वृक्ष लगाये
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