बुधवार, 1 मई 2024

कविता :"आजादी"

"आजादी"
आजादी यूँ ही नहीं मिलती ,
इसमें कुछ खोना पड़ता है | 
कई जंग लड़ना पड़ता है,
और मुस्किलो से गुजरना पड़ता है | 
आजादी हमें यूँ ही नहीं  मिलती  है,
कई कुर्बानिया लेनी  पड़ती है | 
तो कई कुर्बानिया देनी पड़ती है ,
न जाने कितनो ने अपना खून बहाया होगा | 
और कितनो शूली पर चढ़ा होगा ,
आजादी यूँ ही नहीं मिलती | 
न जाने कितना कष्ट सहा होगा,
और जाने कितना कोड़े खाये होंगे | 
तब जाके ये आजादी मिली होगी ,
आजादी यूँ ही नहीं मिलती | 
कवि :सुल्तान ,कक्षा :10th 
अपना घर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें