सोमवार, 5 जुलाई 2021

कविता : "मिट्टी "

 "मिट्टी "

मिट्टी में पला गरीब का बच्चा | 

मिट्टी ने पाला उसे ,

मिट्टी पर ही गिरा |  

और मिट्टी ही संभाला ,

मिट्टी में ही हल है | 

और मिट्टी में ही कल है ,

गरीब मिट्टी में काम कर -कर के | 

अपना पूरा जिंदगी गुजार देते है ,

अपने परिवार को चलाने के लिए |  

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8th 

अपना घर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें