सोमवार, 22 मार्च 2021

कविता : " जीने में क्या बुराई है "

 " जीने में क्या बुराई है "

जीने में क्या बुराई है,

चाहे हम जैसे जिए | 

पर  जीना तो हमें  है ,

चाहे ख़ुशी से  जिए | 

 और  चाहे दुखी होकर  जिए ,

जीना तो हर हालत में है | 

ऐसे जीने में  क्या फायदा ,

जिसमे कोई  मजा ही नहीं | 

जिओ तुम खुल के जिओ ,

बिना डर  के बिना शर्म के | 

 जिओतो खुलकर जिओ ,

कवी: नितीश कुमार  , कक्षा :10th , अपना घर 


 

 

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