रविवार, 7 जून 2020

कविता : मौसम के इशारे

" मौसम के इशारे "

ये मौसम के इशारों पर,
होने लगी पानी की बौछार | 
सबके खेतों  में हो रही,
कितनी अच्छी फसल | 
सब लोग तो नाच गा रहे हैं,
बरसात में मौज कर रहे हैं | 
चारों तरफ पानी भर गया,
सभी नभचर की प्यास बुझ गई |
 इस बारिश के मौसम में 
मन मग्न हो चला है,
पानी की बौछार होने लगी है | 

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " मौसम के इशारे "  सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सार्थक को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | खेलकूद में बहुत रूचि रखते हैं और पढ़ लिखकर एक आर्मी बनना चाहते हैं |


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