शनिवार, 6 जून 2020

कविता : एक पेड़

" एक पेड़ "

जब मैं बैठा  था एक पेड़ के पास ,
कुछ नया सोचने के लिए | 
हवाएँ चली बारिश आई,
मुझे तंग करने के लिए | 
मुझे पता न चला कि 
मेरे पास ही एक पेड़ था,
जो गिर पड़ा मुझे डरने के लिए | 
मैं नहीं डरा चलता रहा,
अपनी खोई हुई मंजिल का पाने के लिए | 
उस बारिश और हवा में जाने क्या था,
जो बस मुझे छू कर जा रहा था | 
मैं जनता उसमें कोई तो है,
जो मुझसे कुछ कहना चाहता था | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और साथ ही साथ गीत भी गाना अच्छा लगता है | बड़े होकर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |

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