रविवार, 10 मई 2020

कविता : सुन -सान सी गालियाँ

" सुन -सान सी गालियाँ "

सुन - सान सी दिख रही थी वह गली,
जिस पर आवाजें गूँजा करती थी | 
सन्नाटा छ गया सड़कों पर,
जहाँ गाड़ियों की सीटी बजती थी |
खामोश हो गया वह खेल का मैदान,
जहाँ बच्चे मैच का आनंद लिया करते थे |
खामोश  सी बहने लगी है नदियाँ,
जहाँ बच्चे नहाया करते थे |
खामोश बैठा रहता है खिड़की के पास,
बचा नहीं उम्मीद की कोई अब  आस |
खामोश हो गई वह दुकान,
जहाँ चाय पिया करते थे| 
सुन - सान सी दिख रही थी वह गली,
जिस पर आवाजें गूँजा करती थी |

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा :6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं |  सुल्तान को कवितायेँ लिखने का बहुत ही शौक है | सुल्तान एक अच्छे और नेक बालक हैं | सुल्तान ने इस कविता का शीर्षक " सुन -सान सी गालियाँ " हैं |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें