गुरुवार, 26 मार्च 2020

कविता : कोरोना को मिलकर भगाएँगें

" कोरोना को मिलकर भगाएँगें "

ये कैसा समय आ गया  मेरे भाई,
क्यों ये दुःख की घडी छाई 
कोई न अब रोड पर जाए,
जाए तो बस कोरोना जाए | 
ये क्रोना क्यों आया भारत देश में,
जबकि यह उत्पन्न हुआ विदेश में | 
कितनों को इसने सताया,
पर कुछ को डॉक्टरों ने बचाया | 
मुँह , हाथ और कान को बंद है छूना,
अब तो लोगों को घरों में है जीना | 
कोरोना का बढ़ता कहर,
दिन , शाम और दोपहर |
एक दूसरे का साथ निभायेंगें,
इस कोरोना से पीछा छुड़ाएंगें | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं और अपना घर संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | समीर इसके आलावा गीत भी बहुत अच्छा गाते हैं और लोगों तक अपनी बातें गीत के जरिए पहुँचाते हैं |

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