रविवार, 12 मई 2019

कविता : जनता की बारी

" जनता की बारी "

आई अब जनता की बारी,
सही नेता चुनने की तयारी |
वोट जनता का हथियार है,
संभलना नेता बहुत होशियार है |  
करेंगे चिकनी चुपड़ी बातें,
इनके चक्कर जनता है आतें |
पाँच सालों में कुछ किया नहीं,
जनता सही से जिया ही नहीं |
किसी का हल्का किसी का पलड़ा भारी,
आई अब जनता की बारी |
सही नेता चुनने की तैयारी | |

कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता अखिलेश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | अखिलेश कानपुर के आशा ट्रस्ट नामक संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | अखिलेश को फुटबॉल खेलना बहुत पसंद है और कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें