बुधवार, 1 मई 2019

कविता : एक जहाज है कुछ ऐसा

" एक जहाज है कुछ ऐसा "

एक जहाज है कुछ ऐसा,
जिसपे सब कोई है बसा |
पेड़ - पौधे , झील - नदियाँ,
सब थे इसके सवारी |
जब इस पर मनुष्य सवार हुए,
बदल गया चल - चलन |
संभाला फिर भी न संभला,
अब कौन बचाएगा हमें बला |
न जाने अब कहाँ रुकेगी,
अब न बचा कोई चालक इसका |
नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



कवि परिचय : नितीश जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बैहर के नवादा जिले के निवासी हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | नितीश को टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी रखना और कैसे काम करना इसपर नितीश को बहुत ज्ञान हैं | नितीश अपने माता - पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं |

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