मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

कविता : नोट

" नोट "

बहुत कीमत होती है,
छोटे से कागज की |
बस गाँधी की फोटो हो,
गवर्नर का साइन हो |
उसी को नोट कहते हैं,
लोग उसी नोट में  रहते हैं |
दुनियां ऐसी हो गई है,
कहते हैं पैसा फेको तमाशा देखो |
इसका कागज है लाइट,
इसके चलते हो जाती है फाइट |   

नाम : सूरज , कक्षा : 5th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता सूरज के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के निवासी हैं | सूरज ने यह कविता नोट पर लिखी है जैसा की वह सोचता है आज लोग से महत्वपूर्ण तो पैसा हो गया है | उन्हें आज रूपए से मतलब है |

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