शुक्रवार, 3 मई 2019

कविता : जाऊँ मैं कहाँ और क्या चुनूँ

" जाऊँ मैं कहाँ और क्या चुनूँ "

जाऊँ मैं कहाँ और क्या चुनूँ,
क्या मैं करूँ और क्या सुनूँ |
मुझे नहीं समझ में आता,
पता नहीं मेरा दिल क्या कह जाता |
ये मेरे दिल का सुरूर,
मैं कहाँ से करूँ शुरू |
पर मुझे नहीं पता,
क्या और कब है होता |
पर मुझे अपने लक्ष्य लिए,
चुनना पड़ेगा एक अच्छा गुरु |
जाऊँ मैं कहाँ और क्या चुनूँ,
क्या मैं करूँ और क्या सुनूँ |

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं नितीश कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी हैं | नितीश को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है और बहुत सी कवितायेँ लिखते हैं | नितीश को टेक्नोलॉजी में बहुत रूचि है | नितीश एक इंजीनियर बनना चाहते हैं |

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