शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

कविता : पल भर की है अपनी जिन्दगी

" पल भर की है अपनी जिन्दगी "

पल भर की है अपनी जिन्दगी,  
कल का वेट मेट कर अभी | 
क्या पता ये होगा या नहीं,  
खुल कर जिओ तुम सभी | 
हर मिनट का इंतज़ार करता हूँ,  
क्या होगा ये अनुमान करता हूँ | 
बस पुराणी यादों से सहमा रहता हूँ,  
उसी को देखकर जिन्दा रहता हूँ | 

कवि : प्रांजुल ,  कक्षा : 9th ,   अपना घर 

                                                                                 


कवि परिचय : यह है प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल कविताएं बहुत ही अच्छी लिखते हैं और अपनी कविता से लोगो को को प्रेरणा देते हैं | प्रांजुल बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल को बच्चो को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है | 

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