शनिवार, 1 सितंबर 2018

कविता : रक्षाबंधन

" रक्षाबंधन "

रेशम का यह डोर,  
जो तूने बाँधी है बहना |
हर एक एक कदम पर,  
खुशियाँ तुझको ही है देना|
मैं जमीं पर भी रहकर,  
तुम्हें आसमां में उड़ाना सिखाऊँगा |
हिम्मत से मैं तुम्हें आगे,  
आगे चलना सिखाऊंगा |
हर मुश्किलों में साथ,  
मेरा साथ देना होगा |
इस रेशम की डोर की,  
कीमत मैं जरूर चुकाऊँगा |
हमेशा खुश तू रहना,  
मुबारक है तुमको
रक्षाबंधन बहना | | 

कवि : देवराज कुमार,  कक्षा : 8th ,   अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं | देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं | 

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