रविवार, 22 जुलाई 2018

कविता : बारिश

" बारिश "

दोपहर की वह बात थी, 
धूप -गर्मी की बरसात थी | 
टपक रहा था सिर से पानी, 
सभी लोगो ने नहाने की ठानी | 
राहत की भीख माँग रहे थे, 
सभी के चेहरे उदास थे | 
सोच रहे थे कैसे छुटकारा मिल जाए, 
थोड़ा सा गर्मी का पारा कम हो जाए | 
फिर बारिश हुई झमा झम,
बारिश फिर हुई न कम | 

नाम : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर 

                                                                              

कवि परिचय : यह हैं विक्रम जो की बहुत फुर्तीले किस्म के हैं | विक्रम को कविताएँ लिखने का बहुत शौक है और इन्होंने अभी तक बहुत सारी कवितायेँ लिख चुके हैं | विक्रम अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं | 

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