रविवार, 22 जुलाई 2018

कविता : वह ऐसा दिन

" वह ऐसा दिन "

चला गया वह एक ऐसा दिन,
जो रहता था लाईट के बिन | 
एक दिन कर दिखया वह काम,
जग में चमकने लगा उसका नाम | 
इस काम से वह पीछे नहीं हटा,
इस दिन एक समस्या घटा | 
था वह एक ऐसा दिन,
जो रहता था लाईट के बिन | 
यह एक पते की बात है,
यह एक रात की बात है  | 

कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर 

कवि परिचय : यह हैं संतोष कुमार जो की बिहार के रहने वाले हैं | संतोष को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | संतोष बड़े होकर एक साइंटिस्ट  बनना चाहते हैं और अपने परिजन की सेवा करना चाहते हैं | संतोष ने कक्षा चार से कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था और आज बहुत अच्छी कवितायेँ लिखते हैं | 

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