" विहग तू क्या है "
विहग तू क्या है,
तू तो अपने को भूल गया |
मैं क्या हूँ , कैसा हूँ,
मानव ने तेरा घर नष्ट किया |
तू तो उड़ना छोड़ रहा है,
पिंजड़े में रहना सिख गया |
तेरी मीठी - मीठी आवाज़ों ने,
आज के मानव का मन मोह लिया |
तू तो आज़ादी से जीने वाला,
तू तो आकाश से बाते करने वाला |
तू तो एक विहग है | |
कवि : राज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं राज जो हमीरपुर के रहने वाले हैं | राज कविताओं में बहुत अच्छे शब्दों का प्रयोग करते हैं | राज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं | राज अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं |
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २८ मई २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
बहुत सुंदर
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