मंगलवार, 22 मई 2018

कविता : धरती की सुनो पुकार

" धरती की सुनो पुकार "

धरती कुछ कहती है यार,
सुन लो ज़रा इसकी पुकार | 
ये कुछ कहती है तुमसे, 
इतना बस जान लो हमसे | 
तुमसे न ही ये धन है माँगती, 
न ही कोई खजाना माँगती | 
बस ये तुमसे माँगती है,
पेट भर पानी और हिफ़ाजत | 
धरती कुछ कहती है यार,
सुन लो ज़रा इसकी पुकार | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th ,अपना घर 



कवि परिचय : यह है समीर जो की इलाहबाद के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत ही पसंद है साथ ही साथ गीत गाना भी बहुत पसंद है | 

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