" धरती की सुनो पुकार "
धरती कुछ कहती है यार,
सुन लो ज़रा इसकी पुकार |
ये कुछ कहती है तुमसे,
इतना बस जान लो हमसे |
तुमसे न ही ये धन है माँगती,
न ही कोई खजाना माँगती |
बस ये तुमसे माँगती है,
पेट भर पानी और हिफ़ाजत |
धरती कुछ कहती है यार,
सुन लो ज़रा इसकी पुकार |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th ,अपना घर
कवि परिचय : यह है समीर जो की इलाहबाद के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत ही पसंद है साथ ही साथ गीत गाना भी बहुत पसंद है |
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