गुरुवार, 22 मार्च 2018

कविता : बच्चों की माँ

" बच्चों की माँ "  

मैंने देखा घोसले को बार बार 
जिसमें बैठे थे बच्चे चार | 
लगी थी जिसको भूख और प्यास, 
कर रहे थे अपनी माँ का इंतज़ार | 
जब चिड़िया चोंच में दाना लाई, 
अपने बच्चे के मुँह में खिलाई  | 
बड़ी मुश्किल से दाना ला पाती, 
तब वह उनके पेट भर पाती | 
हर कठिनाइयों का सामना करती, 
 पर बच्चों को भूखा नहीं रखती | 
हर पल और हर घड़ी, 
वह रखती है बच्चों का ध्यान | 
काश सबको ऐसी ही माँ मिले, 
जो बच्चे कभी भी न भूले | 

नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर


कवि परिचय : शाँत स्वभाव के रहने वाले नितीश कुमार कक्षा 7th में पढते हैं  और अपनी कविताओं में ममता का प्यार जैसे भरी कविता लिखते हैं |  जिंदगी से बहुत अरमान हैं कुछ बनने के | 

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