गुरुवार, 22 मार्च 2018

कविता : मैं वो हवा नहीं जो

" मैं वो बहता हवा नहीं जो "

मैं वो बहता हवा नहीं जो,
हिमालय से टकराकर मुड़ जाता हूँ | 
मैं पल भर का मौसम नहीं जो,
पल भर में बदल जाता हूँ | 
मैं तो वो ऐसा सक्श हूँ, 
जो जिंदगी की राह में | 
लाखों सपने सजाता हूँ, 
क्या करूँ मैं उन सपनों को | 
जिस सपनों को  मैंने सजाया, 
उन सपनों के वजह से ही | 
मैं यहाँ तक आया हूँ, 
निगाहें हैं मेरी उन सपनों पर | 
जिसने मेरी जिंदगी को सरल बनाया | | 

नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं, यह अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | नृत्य करना, कवितायेँ लिखना और क्रिकेट खेलना इनको बहुत अच्छा लगता है | बड़े होकर एक फिलॉस्फर बनना चाहते हैं | 

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