शुक्रवार, 23 मार्च 2018

कविता : मुस्कुराना सीखा

" मुस्कुराना सीखा "

बच्चों से मैंने मुस्कुराना सीखा, 
जो बनाते हैंनया अफ़साना | 
मुझे अभी बहुत कुछ है सीखना, 
अभी बहुत कम जो मैंने है सीखा | 
 फिर मुझे भी है किसी को सिखाना, 
अपनी सारी बातें किसी को बताना | 
मुझे भी हैं अपने फ़साने को बताना,
अपने सोए हुए अरमानों को जगाना | 
बच्चों से मैंने मुस्कुराना सीखा, 
जो बनाते हैंनया फ़साना | 

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर 


कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहाबाद के रहने वाले हैं जो कक्षा 7th में अपना घर परिसद में पढ़ते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ - साथ गाना भी बहुत अच्छा गाते हैं | 

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