रविवार, 18 मार्च 2018

कविता : एक दिन

" एक दिन "

सोच रहा था मैं एक दिन,
कुछ अलग हो रहा हर दिन | 
सारे दिन बैठकर सोचें  हम,
मजे से झूमें और गाए हर दिन | 
कभी ख़ुशी हो कभी हो गम, 
लेकिन मत बैठाओ अपना मन | 
ऐसे ही जिए जीवन हम, 
हंसकर जिए जीवन हम | 

नाम : कामता कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें