शनिवार, 25 नवंबर 2017

कविता: ठंडी का मौसम आया

 " ठंडी का मौसम आया "

ठंडी का मौसम आया है  
उनींदार कपड़ें है लाया है | 
बिना स्वेटर लगती है ठंडी, 
पहनो टोपी पूरी ठंडी | 
ठिठुर रहे हैं हाथ हमारे, 
चलो बैठते हैं आग के किनारे | 
कोहरा भी होता है इस दिन,
देख कर चलो भईया नहीं तो 
भिड़ोगे  किसी दिन | | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 6th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | अपनाघर में रहकर पिछले तीन सालों  से पढ़ाई कर रहे हैं | कवितायेँ बहुत अच्छी लिख लेते हैं तथा डांस भी बहुत अच्छा कर लेते हैं | हमेशा मुस्कुराते रहते हैं | 

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