" अपने आप को पहचानो "
इंसान अपने आप को पहचानो,
अंदर छिपे हुए रहस्य को जानो |
इंसान अपने आप को पहचानो,
खुद करो काबिलियत जगजाहिर,
जिसमें हो तुम सबसे माहिर |
कुछ बिगड़ा नहीं ,कुछ गया नहीं,
बात है यही सही ,खुद पर दया नहीं |
हुनर भरा है कूट -कूट कर,
रो रहे हो खुद से रूठकर |
एक चीज करने की ठानों,
इंसान अपने आप को पहचानों |
अंदर छिपे हुए रहस्य को जनों | |
कवि : रविकिशन , कक्षा : 8th ,अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं रविकिशन जो की बहुत हसमुख है हमेशा हंसी इनके चेहरे पर रहती है | खेल में दौड़ /रेस पसंद है | कवितायेँ हमेशा अच्छी लिखते हैं | पढ़ाई के लिए हमेशा एफर्ट करते रहते हैं | बिहार राज्य से बिलोंग करते हैं | अपने परिवार की हमेशा देखभाल करता है |
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ०६ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा रविकिशन,मेरा खूब सारा आशीष और हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
जवाब देंहटाएंरविकिशन बहुत सुन्दर रचना . सस्नेह आशीर्वाद .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता ! हिम्मत और हौसला देती बहुत ही सार्थक रचना ! रविकिशन आपके इस प्रयास के लिए आपका अभिनन्दन ! इसी तरह लिखते रहिये ! आपका भविष्य बहुत उज्जवल है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ! बहुत सुंदर रविकिशन बाबू । लाजवाब प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ ।
सम्पूर्ण सत्ताएं एक ही परम सत्ता और सम्पूर्ण भाव एक ही परम भाव के अंतर्भूत है. उन परम भावों का प्रादुर्भाव बालपन के उर्वरा प्रांगण में होता है. इसी बात को महाकवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने कहा " Child is the father of man " और इसी बात को प्रमाणित किया है आपने अपनी इस रचना में!!! बधाई, आभार और शुभकामनाएं कि सृष्टि के आप सरीखे नव प्रसूनों के सुवास से साहित्य का आंगन सर्वत्र और सर्वदा सुरभित होते रहे!!!! यूँ ही लिखते रहें , सीखते रहें और साहित्याकाश में दीखते रहें !!!!
जवाब देंहटाएंवाह !!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर....
ढेर सारी शुभकामनाएं ।
इंसान अपने आप को पहचानों |
जवाब देंहटाएंअंदर छिपे हुए रहस्य को जनों |
आप बहुत अच्छा लिखते हैं रविकिशन जी। रवि से चमको आशीर्वाद है
वाह!!!!!बहुत सुंदर भाव ।। लिखते रहिए ।सस्नेह आशीष।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ
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