मंगलवार, 9 मई 2017

"ख़ुशी "

हम तो रौशनी के परिंदे है,
अँधेरे से डरते कहाँ | 
हम मिलते है जिस जगह पर,
खुशियां रहती हैं जहाँ | 
मुश्किलें आएं पर मुस्कराहट
 से लकीर नहीं हटती,
मुस्कराहट रहती है जहाँ पर | 
रौशनी ही है बसती,
चाहे हम हो या तुम हो,
सबके लिए है ये ख़ुशी सस्ती | 
देखो भाई हँसते रहो,
क्योंकि जो खुश रहते है,
वही खुशियां ही है रहती | 
कवि : देवराज ,कक्षा : 7th , अपनाघर हॉस्टल 



कवि परिचय :  बिहार के रहने वाले देवराज | आजकल कविताओं के बादशाह माने जाते है | ये हमेशा कुछ नई सोच  के साथ अपनी कविताओं  को ख़ूबसूरत बनाते है | ये क्रिकेट खेल में भी माहिर है|  ए बी डिविलियर्स इनके बेस्ट खिलाडी है | इनको डांस करना बेहद पसंद है | उम्मीद है की ये हमेशा नई सोच के साथ अपनी कविता को लिखेगें | 

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