मंगलवार, 9 मई 2017

कविता :कोशिश


"कोशिश "

अपने मंजिल को पाने के लिए,
हर तरह की होती है कोशिश | 
रास्ते  चलते -चलते गिर जाओ,
उठकर भी चल न पाओ | 
फिर भी मंजिल को पाने की,
हर तरह की होती है कोशिश | 
जिंदगी में एक सही स्थान पर,
जाना होता है जरूरी | 
 तभी तो समाज में कहेंगे ,
कोशिश होती है जरूरी | 
कवि : विक्रम कुमार ,कक्षा ; 7th  अपनाघर हॉस्टल 


कवि  परिचय : इनका नाम विक्रम है | ये कविताओं को नरम हाथों से लिखकर उसमें जान फूक देते है | इनको रेस करना बहुत  पसंद है | शांत स्वभाव के विक्रम कुमार हमेशा अपने चेहरे में ख़ुशी रखना पसंद करते है | हमेशा नई  जानकारी को पाने की कोशिश करते रहते है |  इनको एक्टिंग करना पसंद है | 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें