रविवार, 7 मई 2017

कवि :मत कर



"मत कर "
ये तो तू मत कर ,
वह तू मत कर | 
 तुझको न रोकेगा वह कि ,
तू प्रकृति से खिलवाड़ | 
हसकर  मत  कर ,
अगर तू  न समझ सका | 
तो रह -रह कर ,
बरसेगा कहर जब उसका | 
तब तुम्हे रहना होगा ,
उस आँचल में | 
बस सहना होगा तुमको मर- मरकर ,
तेज धूप होगी तेज बारिस होगी | 
तेरी वह कहर भरी ,
आवाज से | 
बादल की हॅसने की बारी होगी ,
ये तू मत कर | 
वह तू मत कर ,
प्रकृति से तू खिलवाड़ न कर  | 

                                                                                कविः राज , कक्षा : 8 th  अपना घर 


कवि का परिचय: राज   "अपना घर" परिवार के सदस्य है। ये हमीरपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। इनका परिवार ईट भठ्ठों में प्रवासी मजदूर का कार्य करते है. यंहा "आशा ट्रस्ट" के कानपुर केंद्र "अपना घर" में रहकर, शिक्षा ग्रहण कर रहे है। वर्तमान में ये कक्षा 8 th  के छात्र है। राज को कवितायेँ लिखना अच्छा लगता है। हमें उम्मीद है कि आपको इनकी ये नवीन रचना पसंद आएगी।                             


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