सोमवार, 24 सितंबर 2012

शीर्षक:सीख ले


 शीर्षक:सीख ले
कोई तुझे कुछ कहे ।
तू जाने या ना जाने ।।
हो सके की वह कुछ और कहे ।
इससे पहले तू कुछ सीख ले ।।
चाहे रात हो या दिन ।
तेरी चीजे मांगे तुझसे जबरन ।।
ऐसी न आये कोई घड़ी ।
इससे पहले तू कुछ सीख ले ।।
यदि कोई नेता आये तेरे घर पर ।
जब बैठा हो तू अपनी चौखट पर ।।
आकर तुझे फसाये अपने चुंगल में ।
इससे पहले तू कुछ सीख ले ।।
 बाप बड़ा ना भईया ।
सबसे बड़ा रुपैया ।।
ऐसी न सुनाने को मिले कहावात ।
इससे पहले तू कुछ सीख ले ।।
घर का आदमी घर के काम न  आवे ।
कुछ करवाने को कहो तो वह अपनी औकात दिखावे।। 
ऐसे रंगीन सियारों से तू बच ले ।
इससे पहले तू कुछ सीख ले ।।
एक मदारी बन्दर और बंदरिया ।
भरता अपनी झोली -डलिया ।।
तुझे भी ना बनना पड़े  बन्दर  -बंदरिया ।
इससे पहले तू कुछ सीख ले ।।
ऐसी ना कर तू दोस्त से दोस्ती ।
जू तुझे रोज खिलावे चाट पकौड़ी ।।
संकट आने पर बना दे तुझे ही बलि का बकरा ।
 इससे पहले तू कुछ सीख ले ।।
हो ना हो तेरे नसीब में ।
मिले तुझे  जी न हो तेरे नसीब मे ।।
ऐसे सपने मन मे जग जाये ।
जो ना पूरे हो इस काल मे ।।
 इससे पहले तू कुछ सीख ले ।                                                       नाम : आशीष कुमार 
                                                                                             कक्षा :10
                                                                                           अपना घर ,कानपुर 

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