शीर्षक :- भट्टा
भट्टों में जीवन जलता है....
उस आग में ईंटा पकता है,
कामों के बोझ तले दबकर....
बच्चों का बचपन मरता है,
पढ़ना लिखाना दूर की बातें....
काम करना दिन और रातें,
थककर जब आराम करूँ तो....
पेट की भूख जगाता है,
रंग बिरंगे खेल-खिलौने....
बिस्तर नरम और झूले पलने,
राजा रानी परी कहानी....
क्या ये सच में होते हैं,
भट्टों में जीवन जलता है....
उस आग में ईंटा पकता है,
कामों के बोझ तले दबकर....
बच्चों का बचपन मरता है,
पढ़ना लिखाना दूर की बातें....
काम करना दिन और रातें,
थककर जब आराम करूँ तो....
पेट की भूख जगाता है,
रंग बिरंगे खेल-खिलौने....
बिस्तर नरम और झूले पलने,
राजा रानी परी कहानी....
क्या ये सच में होते हैं,
कवि : महेश
अपना घर
रविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना ...