रविवार, 8 जुलाई 2012

शीर्षक :- हर बात की शुरुआत ही गाली है

शीर्षक :- हर बात की शुरुआत ही गाली है 
गर्मी के मौसम ने....
एक ऐसा चक्रव्यूह रचा है, 
जिसे देखने वाला ही.... 
परेशान हो गया है,
बरसात के मौसम में....
बारिश तो हो नहीं रही,
जो भी आसमान को देखता है....
गाली ही दे रहा है,
बरसात बहुत दिनों के बाद....
आयी तो जरुर है,
लेकिन उसके आने के अंदाज....
तो वाही पुराने हैं,
जिसकी बूंदों से....
लोग ही परेशान है,
जब बारिश की बूंद नहीं थी....
तब मानसून को गाली दिया करते थे, 
जब बारिश की बूंद आयी....
तो बूंदों को गाली दिया करते है,
इस जग के लोग भी....
बहुत परेशान रहा करते है,
जहाँ देखो जिस बात को सुनो....
उसकी शुरुआत ही गाली से किया करते है,
कवि : अशोक कुमार 
कक्षा : 10  
अपना घर

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