बुधवार, 6 जून 2012

कविता :- जिन्दगी का राज

कविता :- जिन्दगी का राज 
जिन्दगी में हैं इतने सारे मुकाम....
कि आराम करना भी है हराम,
लक्ष्य तेरा है जो भूलना नहीं....
आगे बढ़ना तू रुकना नहीं,
पा लोगे अपनी मंजिल को....
मंजिल अब दूर नहीं,
मुश्किलें आयेंगी अनेकों....
आगे बढ़ना तुम डरना नहीं,
मंजिल लगे जब दिखने....
तब समझना पूरे होने लगे सपने,
सपने पालना तो बहुत आसान है....
उनको पूरा करने में निकल जाती है, सबकी जान,
जब चुन ही लिया है अपनी मंजिल....
तो उसे करना होगा तुम्हे हासिल,
जिन्दगी में मिले है गम ही गम....
आओ इन्हें सहकर आगे बढ़ जाएँ हम,
हमें अपनी जिन्दगी पर नाज....
कोई न जाने किसी की जिन्दगी का राज,
कवि : आशीष कुमार 
कक्षा : 10 
अपना घर 

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