गुरुवार, 7 जून 2012

कविता :- सिर्फ सोंचा करते है

कविता :- सिर्फ सोंचा करते है 
अकसर लोग दिन में सोंचा करते है.... 
और रात के अँधेरे में सोया करते है,
बाकी बचा हुआ सुबह,और शाम घूमने फिरने में....
गुजार दिया करते है,
इसी तरह जिन्दगी का एक सुनहरा....
दिन गुजर जाया करता है,
और हम जैसे लोग अपनी जिन्दगी को जीने....
के सिवाय दूसरों के लिए कुछ नहीं किया करते है,
सिर्फ दिन में सोंचा करते है....
और रात के अंधेरों में सोया करते है,
जिन्दगी क्या है ? जिन्दगी कैसी होती है ?....
अकसर इन बातों के बारे में सोंचा करते है,
और जिन्दगी क्या है ? जिन्दगी कैसी होती है ?....
तो उन तमाम सारे भट्टों पर और उन गाँवो में,
जाइये जहाँ सैकड़ों बड़ी-छोटी जिंदगियां....
अपनी जिन्दगी को जीने के लिए कम कर-करके,
अपनी जिन्दगी को जिन्दगी के लिए गुजार दिया करते हैं....
और हम सोंचा करते है कि जिन्दगी क्या है,
अकसर लोग दिन में सोंचा करते है.... 
और रात के अँधेरे में सोया करते है,
नाम : सागर कुमार 
कक्षा : 9 
अपना घर

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