सोमवार, 16 अप्रैल 2012

कहानी :-पंडित की चतुराई

कहानी :-पंडित की चतुराई 
बहुत समय पहले की एक बात है। किसी एक पास के गाँव में एक पंडित रहता था। और वह पंडित पूरे गाँव में प्रसिद्ध था। इसके अलावा लोग दुसरे पंडितों को पूंछते भी नहीं थे।यह पंडित गाँव का सबसे अमीर पंडित माना जाता था। एक बार उसके घर में एक आदमी आ गया और कहने लगा की पंडित जी आज मेरे घर में कथा करनी है। वह पंडित बोला की ठीक जितने समय आना हो समय बता दीजियेगा मैं उतने ही समय आ जाऊंगा। आदमी नें कहा जब आप खाली हों तब ही चले आइयेगा। पंडित रात भर सोता नहीं था। वह सुबह-सुबह पांच बजे अपना बोरिया बिस्तर बाँधकर उस आदमी के गेट पर पहुँच गया और उनका गेट खड़खडानें लगा। कुछ ही देर में उस आदमी की नींद खुली उसनें देखा कि अरे पंडित जी आप इतनी सुबह ! यंहा पर पंडित नें बोला आपनें ही तो कहा  था। जब आपको समय मिलेगा तभी चले आना इसलिए मैं चला आया पंडित उस आदमी के ऊपर बहुत गुस्साया और घर वापस चला गया। पंडित बड़ा उदास हुआ। कुछ दिन बाद फिर वही  आदमी पंडित के घर आया और बोला पंडित जी राम-राम पंडित गुस्सा कर बोला क्या है? आदमी नें कहा पंडित जी कथा करनी है। पंडित नें कहा ठीक है और समय बता जाओ कब आना है। उस आदमी नें कहा दोपहर को आ जाना पंडित जी अगले दिन पंडित जी दोपहर को उसके घर पहुँचा। पंडित जी बोले जल्दी-जल्दी दान दक्षिणा करो कथा शुरू किया जाये। पूजा का सारा सामान पंडित जी के पास रख दिया गया। पंडित बोला आप सभी पांच मिनट के लिए अन्दर चले जाएँ मैं थोडा-थोडा पूजा का सामान जरा झोले में रख लूँ। तत्पश्चात, उस झोले की पूजा करके सारा सामान बाहर निकालूँगा। उसी समय सभी लोग अन्दर हो गए। पंडित को रास्ता खाली दिखा तो पंडित नें सारा सामान भरा और झोला उठाया। पांच मिनट में पंडित गायब हो गया । जब पंडित गायब हो गया तो उस आदमी को बड़ा गुस्सा आ रहा था । उधर पंडित तो मन ही मन  मुस्कुराता हुआ घर पंहुचा। जब आदमी पंडित के घर पंहुचा तो पंडित बोला तूनें मुझे कितनी बार परेशान किया है।बालक ये उसी कर्म का फल है। पंडित नें कहा जो व्यक्ति मेरे साथ ऐसा व्यव्हार करता है। मैं उसे ऐसे ही सिखलाता हूँ। इसलिए मेरा नाम चतुर पंडित रखा है।

शिक्षा :-कभी भी किसी को धोखा नहीं देना चाहिए 

नाम :-जीतेन्द्र कुमार 
कक्षा :-८
अपना घर  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें