रविवार, 1 अप्रैल 2012

कविता : सब कुछ खो गया

 सब कुछ खो गया


पंक्तियों की खोज में ,
शरारतें ही खो गयीं....
शरारतें खो जाने से ,
बचपन भी खो गया ....
इन सब के खोने से ,
मुस्कराहट ही चली गयी....
मुस्करानें का मन किया ,
लेकिन मन की चाहत खो गयी ....
पंक्तियों की खोज में ,
सारा संसार ही खो गया....


लेखक : अशोक कुमार 
कक्षा : 9
अपना घर      

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