शुक्रवार, 30 मार्च 2012

कविता : न होती

 न होती 

न होती रात,न होते दिन ,
सुहावनी सुबह ....
सुहावने शाम ,
न होती गर्मियों की गर्मी....
 न होती जाड़ों की सर्दी ,
होता केवल बादलों का घेरा,
घोर काला घनघोर अन्धेरा ....
और होती बादलों से बारिश ,

लेखक : हंसराज कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर  

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